July 27, 2024

देश में आम चुनावों की आहट, चलिए जानते हैं, कौन मतदान कर सकता है, कौन चुनाव लड़ सकता है और कौन नहीं?

नई दिल्ली। देश में लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी हैं. सभी राजनैतिक दल अपने अपने मोहरे फिट करने में जुट गए हैं. इन चुनावो में करोड़ों मतदाता अपना वोट डालेंगे और अपना जनप्रतिनिधि चुनेंगे. वहीं हज़ारों की संख्या में उम्मीदवार इन चुनावों में अपनी किस्मत आजमायेगे. वहीं संविधान के अनुसार वही लोग वोट कर सकते हैं जिनका नाम मतदाता सूची में होता है लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो न तो वोट दे सकते हैं न ही चुनाव में खड़े हो सकते हैं.

चलिए जानते हैं कि भारत में होने वाले चुनावों में कौन मतदान कर सकता है, कौन चुनाव लड़ सकता है और कौन नहीं?

भारत का संविधान सभी वयस्क, यानी 18 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों को वोट डालने का अधिकार देता है. ऐसे व्यक्ति को मतदान करने के लिए अपना पंजीकरण करवाना होता है. मत देने का अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को है. यानी जो व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है वो मतदान नहीं कर सकता है. साथ ही जिस किसी भी भारतीय नागरिक का नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं है, वो भी मतदान नहीं कर सकते हैं.

इनके अलावा चुनाव संबंधी अपराध या ग़लत आचरण की वजह से अयोग्य घोषित किया गया व्यक्ति न तो मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करवा सकता है और न ही मतदान कर सकता है. ऐसे व्यक्ति भी मतदान नहीं कर सकते जिनका नाम एक से अधिक मतदाता सूची में होता है.

अगर कोई व्यक्ति एनआरआई है और उसने दूसरे देश की नागरिकता नहीं ली है, उसे वोट देने का अधिकार है. हालांकि किसी अन्य देश की नागरिकता ले लेने पर उसके भारतीय चुनाव में वोट देने का अधिकार समाप्त हो जाता है.

जो लोग मानसिक रूप से विकलांग हैं और जिन्हें न्यायालय से मानसिक रूप से विकलांग घोषित कर दिया गया है, वो मतदाता सूची में अपना नामांकन नहीं करवा सकते और उन्हें मतदाता पहचान पत्र जारी नहीं किया जाता है.

साथ ही जिन लोगों को वोट देने का अधिकार है, वो अपना वोट चुनाव आयोग से निर्धारित मतदान केंद्र में ही डाल सकते हैं अन्य केंद्रों पर इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 84-ए में यह बताया गया है कि कौन संसद का सदस्य बनने के योग्य है. इसके अनुसार जो व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है, उसे चुनाव लड़ने का कोई अधिकार नहीं है.

लोकसभा, विधानसभा चुनाव में बतौर प्रत्याशी उतरने के लिए न्यूनतम उम्र 25 वर्ष निर्धारित की गई है, इससे कम उम्र का शख़्स चुनाव नहीं लड़ सकता है.

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 4(डी) के अनुसार, जिस व्यक्ति का नाम संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में नहीं है, वह चुनाव नहीं लड़ सकता है. साथ ही वह व्यक्ति जिसे किसी मामले में दो साल या उससे अधिक की सज़ा हुई है, वह चुनाव नहीं लड़ सकता है.

एक भारतीय नागरिक जो मतदाता सूची में संशोधन वर्ष की एक जनवरी को 18 साल की आयु पूरा कर रहा है, वो अपना नाम मतदाता सूची में दर्ज करा सकता है. इसके लिए ज़रूरी है कि वह व्यक्ति उस निर्वाचन क्षेत्र का निवासी हो, जहाँ वह अपना नाम दर्ज कराना चाहता है.

इसके लिए उन्हें फार्म-6 भरना होगा. इस फार्म को बूथ लेवल ऑफिसर या बीएलओ से हासिल किया जा सकता है.

इसे https://voters.eci.gov.in/login पर जाकर ऑनलाइन भी भरा जा सकता है. अप्रवासी भारतीयों को मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए फार्म-6A भरना होता है.

फार्म में आपको अन्य जानकारियों के साथ-साथ आधार नंबर भी देना होता है. हालांकि जिनके पास आधार कार्ड नहीं है, वो भी फार्म भर सकते हैं.

आवेदक को अपनी आयु को प्रमाणित करने के लिए सक्षम अधिकारी की ओर से जारी जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, शिक्षा बोर्ड की ओर से जारी कक्षा-10 और 12 का प्रमाण पत्र या पासपोर्ट में से किसी एक की प्रति लगानी होती है.

मतदाता सूची में संशोधन के लिए मतदान केंद्रों पर समय-समय पर कैंप लगाए जाते हैं, वहां जाकर भी मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करवाने के लिए आवेदन किया जा सकता है.

अगर आपको इस सिलसिले में किसी तरह की मदद चाहिए हो तो उसके लिए 1950 पर फ़ोन कर सकते हैं. मतदाता सूची में अगर आपकी जानकारी ग़लत दर्ज है तो उसे कैसे सुधारें?

मतदाता सूची में नाम दर्ज हो जाने के बाद अगर उसमें कोई ग़लती रह जाती है, तो मतदाता फ़ॉर्म-8 भरकर उसमें सुधार करवा सकता है. फ़ॉर्म-8 भर कर कोई मतदाता अपने बदले हुए पते की जानकारी भी दे सकता है.

इसके अलावा इस फ़ॉर्म-8 के जरिए ही मतदाता पहचान पत्र को भी बदलवाया जा सकता है. अपनी विकलांगता की जानकारी देने के लिए भी मतदाता को फ़ॉर्म-8 ही भरना होगा.

विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 11 में कहा गया है कि चुनाव आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी मतदान केंद्रों पर विकलांग व्यक्तियों के लिए सुविधाएं हों.

साथ ही चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी सभी सामग्री तक उनकी आसान पहुंच हो और वह उनके समझने लायक हों.

विकलांग व्यक्तियों के अधिकार क़ानून के तहत 21 विकलांगताओं में दृष्टिबाधिता भी शामिल है. मतदान केंद्र पर दृष्टिबाधित मतदाताओं को ब्रेल लिपि में डमी बैलेट शीट दी जाती है.

डमी बैलेट शीट का अध्ययन करने के बाद दृष्टिबाधित को वोट डालने के लिए वोटिंग डिब्बे में जाने की इजाजत दी जाती है.

ऐसे मतदाता डमी बैलेट शीट को पढ़ने के बाद ईवीएम पर ब्रेल लिपी में दर्ज विवरण और अपनी पसंद के उम्मीदवार का क्रमांक पढ़कर वोट डाल सकते हैं.

मतदान केंद्र पर, दृष्टिबाधित व्यक्तियों को चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 49 (एन) के मुताबिक़ एक साथी की सुविधा भी प्रदान की जाएगी. इसके अलावा दृष्टिबाधित मतदाता अगर चाहता है तो बूथ स्वयंसेवक या पीठासीन अधिकारी की मदद भी ले सकता है.

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