नगर पालिका का गजब कारनामा, जिस पर था सरकारी जमीन खुर्दबुर्द करने का मुकदमा, उसे ही दे दी जमीन

मसूरी: नगर पालिका परिषद मसूरी की नई बोर्ड के गठन को अभी छः महीने भी पूरे नहीं हुए हैं और सरकारी जमीन को खुर्दबुर्द करने का मामला सामने आ गया है. मजे की बात यह है कि अधिकारियों ने यह पूरा खेल कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के 26 फ़रवरी 2024 के उपजिलाधिकारी को लिखे सिफारिशी पत्र की आड़ में खेला है. यहाँ तक कि इसके लिए बोर्ड प्रस्ताव तक जरूरी नहीं समझा गया. सरकारी जमीन की रजिस्ट्री, जिसमें मुकदमा दर्ज हो, आरोपी जमानत पर और मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन हो, उसी सरकारी जमीन को उसी व्यक्ति को किराए पर दे दिया, जिस पर मुकदमा दर्ज है, जो कहीं ना कहीं बड़े खेल की तरफ भी इशारा कर रहा है.
दरअसल जिस सरकारी जमीन को लेकर पूरा मामला सामने आया है वह नगर पालिका परिषद् मसूरी की किंगक्रेग स्थित उस संपत्ति का है जो पालिका ने 1993 में रोटरी क्लब को किराए पर दिया था. जिस पर रोटरी के तत्कालीन अध्यक्ष शैलेन्द्र कर्णवाल और सचिव शरद गुप्ता ने 2007 में नियमों के विपरीत ओम फिलिंग स्टेशन के संचालक के साथ उसका प्रयोग करने के लिए समझौता कर दिया. यही नहीं 2010 में ओम फिलिंग स्टेशन के भाई के नाम इसी जमीन की रजिस्ट्री भी कर दी. सरकारी जमीन की रजिस्ट्री का मामला सामने आया तो इस पर तहसील सदर द्वारा जांच शुरू की गई. जांच में पालिका की भूमि पर फर्जीवाड़ा पाया गया, तो एसआईटी की संस्तुति पर तत्कालीन जिलाधिकारी और मंडल आयुक्त ने सुनील गोयल समेत चार के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए. जिस पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर चार्जशीट दाखिल की और आरोपी जमानत पर हैं.


इस मामले में नगर पालिका परिषद मसूरी ने नैनीताल हाईकोर्ट में मुकदमा वापस लेने की अर्जी लगाई, हालाँकि इस पर कोर्ट ने पालिका को फटकार लगाते हुए पूरे मामले पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है. वहीँ दूसरी ओर हाईकोर्ट का निर्णय आने से पहले पालिका ने कबीना मंत्री गणेश जोशी के फ़रवरी 2024 के सिफारशी पत्र की आड़ में इसी जमीन को मात्र 50 हजार रूपये में उसी व्यक्ति को किराए पर दे दिया जिस पर इसी जमीन का मुकदमा दर्ज है.
शहरी विकास सचिव के आदेशों की भी उडाई धज्जियाँ
नगर पालिका के अधिकारियों ने ऐसा करके सरकारी जमीनों की लूट को रोकने के लिए लागू उस शासनादेश की भी धज्जियाँ उड़ा दी, जो शहरी विकास सचिव नितेश झा ने 2024 में सभी निकायों के लिए जारी किया था. शासनादेश जारी करते हुए नितेश झा ने कहा था कि सभी निकायों के प्रबंधन और स्वामित्त्व वाली भूमि, संपत्तियों को बाज़ार दाम कम पर किराए या लीज पर आवंटित किया जा रहा है. साथ ही जिन संपत्तियों की लीज, किरायेदारी समाप्त हो गयी है उनको भी शासन की अनुमति के बिना कम दरों पर आवंटित किया जा रहा है, इस तरह सरकारी जमीनों की लूट पर रोक लगायी जानी चाहिए. जिसके लिए सभी निकाय 30 अप्रैल 2010 के शासनादेश पर सख्ती से अमल करें. शासनादेश के अनुसार किसी भी सरकारी संपत्ति के लीज के नवीनीकरण के लिए शासन की अनुमति जरूरी है. साथ ही किसी संपत्ति के किराए का निर्धारण बाजार दर से कम पर न हो.
बहरहाल इस पूरे प्रकरण के बाद नगर पालिका अधिकारी संदेह के घेरे में आ गये हैं. सवाल खड़े हो रहे हैं कि जिस संपत्ति के मामले में जाँच उपरांत दोषी पाए जाने पर मुकदमा दर्ज हो चुका हो, अरोपी जमानत पर हो, उसी संपत्ति को पालिका ने उसी व्यक्ति को नियमो के विपरीत किराए पर क्यों दे दिया है. ताजुब्ब की बात है कि इस पूरे मामले में पालिका बोर्ड ने भी चुप्पी साध रखी है.