बड़ी खबर: मैसोनिक लॉज बस स्टैंड में चल रहे विकास कार्यों पर रोक लगाने को हाईकोर्ट की ना, जनहित के कार्यों में नही करेगी हस्तक्षेप
मसूरी/नैनीताल। नैनीताल उच्च न्यायालय में देहरादून निवासी शेखर पाण्डेय की ओर से दायर याचिका पर मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता में खंडपीठ ने नगर पालिका द्वारा मैसोनिक लॉज में किए जा रहे कार्यों पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुनवाई की व याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाते हुए जनहित के कार्यों में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। साथ ही उक्त याचिका पर सुनवाई हेतु 14 नवंबर 2023 को अगली तिथि तय की है। साथ ही नगर पालिका, एमडीडीए और राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को भी कहा है।
दरअसल देहरादून निवासी शेखर पांडेय की ओर से नैनीताल उच्च न्यायालय में मैसोनिक लॉज में किए जा रहे जनहित के कार्यों पर रोक लगाने को लेकर याचिका दायर की थी। जिस पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सुनवाई की। उक्त याचिका की सुनवाई करते हुए बेंच ने याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाई व विकास कार्यों पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। बेंच ने कहा कि न्यायालय नगर पालिका मसूरी के खिलाफ जो याचिकाएं है वह पालिका बोर्ड को अस्थिर ले लिए प्रतीत होता है। यही नहीं न्यायालय ने कहा कि जनहित में किए जा रहे विकास कार्यों में न्यायालय द्वारा किसी प्रकार का हस्तक्षेप नही किया जाएगा। वहीं न्यायालय ने मसूरी निवासी ललित मोहन द्वारा पालिका कार्यों की जांच को लेकर दायर की गई याचिका को इस याचिका के साथ जोड़ने से भी इंकार कर दिया है। वहीं नगर पालिका, एमडीडीए और राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को भी कहा है। उक्त प्रकरण में सुनवाई के लिए अगली तिथि 14 नवंबर 2023 तय कर दी है।
न्यायायलय के इस सकारात्मक रुख के बाद जहां मैसोनीक लॉज पर बने वेंडर जोन को राहत की सांस मिली, वहीं यहां पर दूसरे पार्ट में बनने वाले पार्किंग के निर्माण पर छाए संकट के बादल भी फिलहाल टल गए हैं।
खिसियाई बिल्लियों को न्यायालय ने दिखाया आएना
आपको बताते हैं शहर में कुछ विकास विरोधी व शरारती तत्व अनुज गुप्ता के पालिका अध्यक्ष बनने के बाद से ही एक गिरोह के रूप में सक्रिय हैं। जिसमे कोई खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताता है तो कोई खुद को तुर्रम खां पत्रकार। इन पत्रकारों की अगर बीते चार सालों की खबरे देखे जो कि पालिकाध्यक्ष से जुड़ी हुई है उसमे पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता के खिलाफ केवल नफरत ही दिखाई देगी। दरअसल ये पत्रकार भी एक एजेंडे पर केवल अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए पत्रकारिता कर रहे हैं। इनका मकसद इनकी खबरों में साफ झलकता है। नगर पालिका के जिन कार्यों की शहरवासी तारीफ कर रहे वे कार्य भी इन पत्रकारों को अवैध दिखते हैं। जबकि इनके खुद के घर और गेस्ट हाउस अवैध बने हुए हैं। यही वे पत्रकार है जिन्होंने किंग क्रेग में दुकानें नही बनने दी। फिर यही पत्रकार खबर छापते हैं कि पालिका ने अवैध निर्माण कर लोकधन की बरबादी कर दी है। ये तथाकथित पत्रकार तब कहा रहते हैं जब पालिका अवैध कार्य शुरू करती है। तब क्यों नही लोकधन को बचाने आगे आते हैं। इनको यदि शहर के अच्छे बुरे से मतलब होता तो केवल अपने व्यक्तिगत रंजिश के लिए पत्रकारिता नही करते। दुकानें बनती है तो शायद इनको दुकान नही मिलेगी, यह सोचकर खिलाफ में खबर छाप दो, अगर रोपवे, गार्डन आदि में इनको या इनके रिश्तेदारों को पार्टनर नही बनाया जाता है या फिर ठेका नही किया जाता है तो खबर छाप दो। कुल मिलाकर इनके स्वार्थ की जहां पूर्ति नहीं होती तो अध्यक्ष के खिलाफ में खबर छाप दो। इन तथाकथित पत्रकारों की हरकतों से तो यही प्रतीत होता है। अरे भाई पालिका द्वारा जब भी कोई अवैध निर्माण कार्य शुरू किया जाता है तब आप और आपकी यह शरारती बुद्धि घास चरने गई होती है क्या। जब तुमारे अपने अवैध घर, गेस्ट हाउस नही टूट सकते तो जनहित में हो रहे निर्माण कार्यों और बेरोजगार युवाओं के रोजगार के लिए बनने वाली दुकानें ही तुमको अवैध कैसे दिखती हैं। प्रशासन और एमडीडीए को भी इनके अवैध आवास और गेस्ट हाउस क्यों नजर नहीं आते। इनका मकसद एक एजेंडे के तहत पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता की छवि को जानबूझकर धूमिल करने की स्पष्ट प्रतीत होती है। एक पोर्टल तो स्पेशल अनुज गुप्ता की छवि को धूमिल करने के लिए लाया गया। शायद उस पोर्टल की पहली खबर ही अनुज गुप्ता के खिलाफ है। जिसके सारे स्क्रीनशॉट हमारे द्वारा सुरक्षित रखे गए हैं। इस पोर्टल में 90 फीसदी न्यूज केवल पालिका के खिलाफ हैं। इनकी मंशा तो साफ हो रही है। साथ ही समझा जा सकता है कि किस तरह यह गैंग पत्रकारिता के पेशे को भी बदनाम कर रहा है। इनकी ऐसी खबरों का हम जल्द पोस्टमार्टम करेंगे और बताएंगे कि कैसे ये तथाकथित गैंग अनुज गुप्ता के द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों से बौखला गया हैं। इनके हाल बिल्कुल वैसे हो गए हैं, जैसे एक खिसियाई बिल्ली के होते है। दिख रहा है कि अब ये खिसीयाई बिल्लियां खंबा नोचने में जुटी हुई है।