ऑपरेशन सिलक्यारा टनल फतह के असली हीरो हैं रैट माइनर्स, जान जोखिम में डाल बचाई 41 जिंदगियां
बुलंदशहर: उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल।में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने को लेकर भले ही उत्तराखंड व केंद्र की सरकारें अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन हकीकत यह है कि रैट माइनर्स नही होते तो सरकार को शायद ही अपनी पीठ थपथपाने का मौका मिलता। क्योंकि जहां अमेरिका से मंगाई गई आगर मशीन ही जवाब दे गई वहां रैट माइनर्स ने आपरेशन सिलक्यारा पर विजय फतह कर दी।
जी हां बुलंदशहर पहुंचे सिलक्यारा टनल फतह के हीरो रैट माइनर्स का ढोल नगाड़ों के साथ भव्य स्वागत हुआ। ग्रामीणों ने रैट माइनर्स का माल्यार्पण कर स्वागत किया। रैट माइनर्स ने भी तिरंगा लहराकर ऑपरेशन टनल फतह की खुशी जताई। बुलंदशहर पहुंचे रैट माइनर्स ने बताया कि अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर 26 घंटे में 18 मीटर माइनिंग कर 41 जिंदगियों को बचाकर देश के लिए काम किया है। अब सरकार से रोजगार की दरकार है। बुलंदशहर पहुंचा रेट माइनर्स का दल तो ग्रामीणों ने बैंड बाजे और ढोल नगाड़ों के साथ माल्यार्पण कर स्वागत किया। बाकायदा डीजे के साथ विजय यात्रा निकाली और फिर जब परिजनों से मिले तो खुशी के आंसू छलक पड़े। रैट माइनर्स ने भी विजय यात्रा के दौरान तिरंगा लहरा कर ऑपरेशन उत्तरकाशी टनल फतह पर खुशी जताई ।
जब देश में दीपावली का त्यौहार मनाई जा रहा थी तब उत्तरकाशी की अंधेरी टनल में 41 मजदूर फंस गए थे। मजदूर जिंदगी के लिए जंग लड़ने लगे थे। टनल में फंसे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी टीमों ने अमेरिका की ऑगर मशीन तक मंगा कर ऑपरेशन टनल चलाया। मगर जब ऑगर मशीन भी फंस गई तो रेस्क्यू टीम ने अंतिम क्षण में रैट माइनर्स की टीम को बुलाकर उन्हें 41 जिंदगियों को बचाने का टास्क दिया।
रैट माइनर्स का चेहरा देख खुश हुए मजदूर
बुलंदशहर के गांव अख्तियारपुर के रहने वाले रैट माइनर मोनू ने ऑपरेशन टनल फतह करने के बाद बताया कि हमें खुदाई करने वाली कंपनी ने मजदूरी पर बुलाया। जान जोखिम में डालकर 41 जिंदगियों को बचाने गए। 3 दिन अमेरिका की ऑगर मशीन का बर्मा काटने में लग गए। लेकिन जब रैट माइनिंग शुरू की गई तो 26 घंटे में 18 मीटर माइनिंग कर वहां तक जा पहुंचे। जहां 41 मजदूर फंसे थे। फंसे हुए मजदूरों ने और रैट माइनर्स ने एक दूसरे का चेहरा देखा तो फंसे हुए मजदूरों के चेहरे खिल उठे थे। उन्होंने मीडिया से कहा, ‘मैंने सुरंग के अंदर का आखिरी पत्थर हटाया तो वहां फंसे लोग मुझे देखकर खुशी से झूम उठे। उन्होंने मुझे गले से लगा लिया और खाने के लिए बादाम दिए। हम पिछले 24 घंटे से काम कर रहे थे। उन्होंने मुझे जो इज्जत दी वह मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकता। इस बेहद मुश्किल ऑपरेशन में शामिल लोगों की खूब तारीफ हो रही है।
फिरोज नाम के एक दूसरे रैट माइनर ने कहा कि जब हम टनल के अंदर पहुंचे तो खुशी से हमारे आंसू निकल गए। हम सभी खुश थे। मैंने फंसे हुए लोगों को गले से लगाया और उनका धन्यवाद अदा किया। ऑपरेशन में शामिल एक अन्य रैट माइनर ने बताया कि जब हम आखिरी कुछ मीटर दूर रह गए थे तो हम टनल में फंसे लोगों की आवाजें सुन रहे थे। हमने उनसे कहा कि हम उनके बहुत ही नजदीक पहुंच चुके हैं। हमारे पहुंचने के आधे घंटे बाद एनडीआरएफ के लोग भी सुरंग के अंदर आ गए।
इस मिशन में मुन्ना और फिरोज के अलावा रैट माइनर मोनू कुमार, वकील खान, परसादी लोधी और विपिन राजौत भी शामिल थे। उन्होंने सोमवार को शाम करीब सात बजे मलबा हटाने का काम शुरू किया था और 24 घंटे से भी कम समय में अपना काम पूरा कर दिया।
रैट होल माइनिंग छोटी सुरंग खोदकर कोयला निकालने की एक प्रोसेस है, लेकिन 2014 में इसे बैन कर दिया गया था। हालांकि यह तकनीक सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों के लिए नया जीवन लेकर आई।
सरकार से लगाई रोजगार की गुहार
बुलंदशहर के रैट माइनर मोनू ने बताया कि गांव की सड़क खराब है। सरकार से दो ही दरकार है, एक तो गांव की सड़क अच्छी बनवा दें। हम सभी बेरोजगार हैं, हमें नौकरी दिला दें। वहीं बुलंदशहर के रैट माइनर्स के साथ कासगंज का रैट माइनर नासिर भी साथ आया था। नासिर ने बताया कि 41 जिंदगियों को बचाने का टास्क लिया। टनल में फंसे 41 मजदूरो तक पहुंचे। मजदूरों को बचाने के लिए अपनी जिंदगी भी दांव पर लगा दी। उन्हें बचाकर काफी खुशी हो रही है।