पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के बीच तनातनी, अमेरिका और चीन ने लताड़ा

इस्लामाबाद: भारत पाकिस्तान तनाव के बीच पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के बीच तनातनी ने देश की सियासत में नया ड्रामा पैदा कर दिया है. शनिवार को भारत के साथ युद्धविराम लागू होने के बाद शहबाज ने मुनीर की तारीफों के पुल बांधे, लेकिन सेना ने मुनीर के ही इशारे पर युद्धविराम का खुलेआम उल्लंघन कर शहबाज को अंतरराष्ट्रीय मंच पर शर्मिंदगी का सामना करने को मजबूर कर दिया. शनिवार को युद्धविराम की घोषणा के बाद शहबाज ने एक सार्वजनिक भाषण में जनरल मुनीर को ‘राष्ट्र का नायक’ करार दिया और उनकी ‘रणनीतिक दूरदर्शिता’ की सराहना की.
उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, उपराष्ट्रपति जेडी वांस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो को भी X पर धन्यवाद दिया. शहबाज का दावा है कि इनकी मध्यस्थता से यह युद्धविराम संभव हुआ. शहबाज ने लिखा, ‘पाकिस्तान क्षेत्रीय शांति के लिए प्रतिबद्ध है, और हम अमेरिका के नेतृत्व की सराहना करते हैं.’ लेकिन उनकी यह खुशी उस समय शर्मिंदगी में बदल गई, जब सेना ने युद्धविराम के कुछ घंटों बाद ही श्रीनगर और जम्मू में ड्रोन और गोलीबारी शुरू कर दी. अमेरिका और चीन ने शहबाज को इस उल्लंघन के लिए फटकार लगाई, जिससे उनकी कूटनीतिक साख को झटका लगा.
दूसरा विवाद तब खड़ा हुआ, जब पाकिस्तानी सेना ने ऐसी खबरें जारी की कि शहबाज ने नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है, जो पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदार है. इस बैठक में कथित तौर पर वरिष्ठ मंत्रियों, सैन्य अधिकारियों और सिविल प्रशासकों को शामिल होना था. 10 मई को नूर खान, मुरिद, और रफीकी एयरबेस पर भारतीय हमलों के बाद इस खबर ने दुनिया की चिंता बढ़ा दी, क्योंकि यह परमाणु युद्ध की आशंका को हवा दे रही थी.
शहबाज की मजबूरी, सेना की मनमानी
पाकिस्तान में सेना और सरकार के बीच यह रस्साकशी कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार इंटरनेशनल मंच पर बेइज्जती हुई. शहबाज मुनीर पर सीधा हमला करने से बच रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि सेना की नाराजगी उनकी सरकार को अस्थिर कर सकती है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि पाकिस्तान में असली सत्ता सेना के पास है. शहबाज की तारीफ सिर्फ दिखावा है, जबकि मुनीर की हरकतें उनकी औकात दिखा रही हैं.