लाल क्रांति को लगा बड़ा धक्का, CPI(M) के महासचिव सीताराम येचुरी का 72 साल की आयु में निधन
नई दिल्ली/देहरादून। भारतीय राजनीति में विशेष भूमिका निभा रहे लाल क्रांति को बहुत गहरा आघात पहुंचा है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी CPI(M) के महासचिव सीताराम येचुरी का निधन हो गया है. उन्होंने 72 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. सीताराम येचुरी दिल्ली के AIIMS के आईसीयू में भर्ती थे. माकपा ने मंगलवार को एक बयान में कहा था कि 72 वर्षीय येचुरी का AIIMS के ICU में इलाज किया गया था, वह एक्यूट रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन से पीड़ित थे.
माकपा नेता येचुरी को 19 अगस्त को तेज बुखार की शिकायत के बाद AIIMS के आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया गया था. उन्हें निमोनिया के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था और कोई गंभीर बात नहीं थी. सीपीआई (एम) नेता की हाल ही में मोतियाबिंद की सर्जरी हुई थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने येचुरी के निधन पर शोक व्यक्त किया. उन्होंने कहा, सीताराम येचुरी के निधन पर दुख हुआ. वे वामपंथ के प्रणेता थे. वे राजनीतिक स्पेक्ट्रम से जुड़ने की अपनी क्षमता के लिए जाने जाते थे. उन्होंने एक प्रभावी सांसद के रूप में भी अपनी पहचान बनाई. इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं. ॐ शांति.
गृहमंत्री अमित शाह ने भी सीताराम येचुरी के निधन पर शोक जताया है. उन्होंने कहा, येचुरी जी का निधन राजनीतिक क्षेत्र के लिए क्षति है. मैं उनके परिवार के सदस्यों और दोस्तों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं. ईश्वर उन्हें इस कठिन समय को सहने की शक्ति दे.
सीताराम येचुरी के निधन पर राहुल गांधी ने दुख जताया है. राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, सीताराम येचुरी जी दोस्त थे. उन्हें भारत की गहरी समझ थी और वे भारत की विचारधारा के रक्षक थे. मैं उनके साथ लंबी बातचीत को मिस करूंगा. उनके परिवार, दोस्तों औऱ समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाएं.
उधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी येचुरी के निधन पर दुख जताया है. उन्होंने लिखा, सीताराम येचुरी के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ. उनका निधन देश की राजनीति को बड़ा नुकसान है. मैं उनके परिवार, दोस्तों और करीबियों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करती हूं.
उत्तराखंड में भी सीपीआईएम ने कॉमरेड सीताराम येचुरी के सम्मान में पार्टी के प्रदेश व जिला कार्यालय पर पार्टी का झंडा झुकाया व दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
सीताराम येचुरी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPI-M) के पांचवें महासचिव थे. येचुरी भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे. वे वर्तमान में येचुरी CPI-M के संसदीय समूह के नेता और 1992 से पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य भी रहे. इससे पहले येचुरी 2005 से 2017 तक पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के सांसद रहे. येचुरी 1974 में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) में शामिल हुए थे और एक साल बाद, वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) में शामिल हो गए. वे एक प्रसिद्ध स्तंभकार, अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते थे.
सीताराम येचुरी को पार्टी के पूर्व महासचिव हरकिशन सिंह सुरजीत की गठबंधन निर्माण विरासत को आगे बढ़ाने के लिए जाना जाता है. उन्होंने 1996 में संयुक्त मोर्चा सरकार के लिए साझा न्यूनतम कार्यक्रम का मसौदा तैयार करने के लिए पी चिदंबरम के साथ सहयोग किया था. साल 2004 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के गठन के दौरान गठबंधन निर्माण प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
सीताराम येचुरी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा सीताराम येचुरी का जन्म मद्रास (अब चेन्नई), तमिलनाडु में 12 अगस्त 1952 को एक तेलुगु भाषी ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता सर्वेश्वर सोमयाजुला येचुरी आंध्र प्रदेश राज्य सड़क निगम में इंजीनियर थे. उनकी मां कल्पकम येचुरी एक सरकारी अधिकारी थीं. सीताराम येचुरी का बचपन हैदराबाद में बीता. सीताराम येचुरी ने हैदराबाद के ऑल सेंट्स हाई स्कूल से मैट्रिक किया. 1969 के तेलंगाना आंदोलन के बाद वे दिल्ली आ गए. यहां उन्होंने प्रेजिडेंट एस्टेट स्कूल में दाखिला ले लिया. अपनी असाधारण शैक्षणिक कुशलता के कारण येचुरी ने 1970 में सीबीएसई उच्चतर माध्यमिक परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज में प्रवेश लिया. हालांकि, 1975-1977 के आपातकाल के दौरान गिरफ्तार होने के कारण वह इसे जारी नहीं रख सके. सीताराम येचुरी की शादी पत्रकार सीमा चिश्ती येचुरी से हुई है. सीताराम येचुरी का सीमा चिश्ती येचुरी से एक बेटा है. सीताराम येचुरी की पहली पत्नी प्रसिद्ध वामपंथी कार्यकर्ता वीना मजूमदार की बेटी थीं. उनकी बेटी अखिला येचुरी इतिहास की प्रोफेसर हैं. सेंट एंड्रयूज विश्वविद्यालय में पढ़ा चुकी हैं. वह एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में लेक्चरर भी रही थीं.
ऐसे हुआ येचुरी का राजनीतिक सफर शुरू
सीताराम येचुरी ने 1974 में भारतीय राजनीति में कदम रखा. उस समय वे वे स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के सदस्य बने. वे 1975 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी – मार्क्सवादी में शामिल हो गए, जब वे दिल्ली में जवाहरलाल विश्वविद्यालय में छात्र थे। येचुरी उन कई लोगों में से थे जिन्हें 1975 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान गिरफ्तार किया गया था. 1977 में आपातकाल हटने के बाद जेल से रिहा होने के बाद सीताराम येचुरी एक साल में तीन बार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. सीताराम येचुरी और सीपीआई-एम के पूर्व महासचिव प्रकाश करात ने जेएनयू को वामपंथियों का गढ़ बना दिया. येचुरी को एसएफआई का महासचिव चुना गया और बाद में 1978 में उन्हें इसका अध्यक्ष नियुक्त किया गया. 1984 में येचुरी सीपीआई-एम की केंद्रीय समिति के सदस्य बने. दो साल बाद, उन्होंने एसएफआई से अपने रास्ते अलग कर लिए. 1992 में सीपीआई-एम की 14वीं कांग्रेस में सीताराम येचुरी को पार्टी पोलित ब्यूरो के लिए चुना गया.
2005 में पश्चिम बंगाल से राज्यसभा पहुंचे
सीताराम येचुरी पहली बार 2005 में पश्चिम बंगाल से राज्यसभा (संसद के ऊपरी सदन) के लिए चुने गए थे. वे तब से उच्च सदन में आम हित और लोक कल्याण के मुद्दों को सामने लाने और पिछले कुछ वर्षों में कई मुद्दों पर सत्तारूढ़ सरकारों को बार-बार बाधित करने के कारण एक प्रतिष्ठित व्यक्ति रहे हैं। नियमित व्यवधान पैदा करने के लिए येचुरी की अक्सर सरकार द्वारा आलोचना की जाती है. हालांकि, वह इसे अपना लोकतांत्रिक अधिकार मानते हैं। राज्यसभा के सदस्य के रूप में उनका वर्तमान कार्यकाल 19 अगस्त 2011 से 18 अगस्त 2017 तक है. 19 अप्रैल 2015 को वह दिन माना जाता है जिस दिन सीताराम येचुरी को विशाखापत्तनम में आयोजित 21वीं पार्टी कांग्रेस में सर्वसम्मति से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी – मार्क्सवादी के पांचवें महासचिव के रूप में चुना गया था. उन्होंने प्रकाश करात का स्थान लिया. सीताराम येचुरी और उनके पोलित ब्यूरो सदस्य एस रामचंद्रन पिल्लई इस प्रतिष्ठित पद के दावेदार थे. हालांकि, बाद में उन्होंने अपना समर्थन वापस ले लिया और येचुरी पार्टी महासचिव के पद पर पहुंच गए.