“बड़ों पर रहम छोटो पर करम” MDDA ने किया अवैध निर्माण सील, सवालों में प्राधिकरण की कार्यशैली

मसूरी। “बड़ों पर रहम छोटो पर करम” मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण यह कार्यशैली सवालों के घेरे में है. सवाल उठने भी लाजमी हैं. मसूरी नगर पालिका क्षेत्र में भारी संख्या में आवासीय भवनों की अड़ में अनगिनत व्यावसायिक भवन निर्मित हो चुके हैं और कई निर्माणाधीन हैं, लेकिन उन पर विभाग द्वारा खानापूर्ति की कार्यवाही मात्र की जाती है. जबकि छोटे छोटे निर्माणों पर हमेशा ही एमडीडीए की गाज गिरती है. एक बार फिर प्राधिकरण द्वारा कैंपटी रोड स्थित इंदिरा कालोनी के श्रीनगर स्टेट में चल रहे एक आवासीय अनाधिकृत निर्माण कार्य को सील कर दिया गया है.
इस मौके पर एमडीडीए के अवर अभियंतां अनुज पांडे, अवर अभियंता अनुराग नौटियाल, सुपरवाइजर संजीव, उदय नेगी और इंद्रेश नौटियाल शामिल रहे। |
इसलिए उठ रहे हैं सवाल
दरअसल मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण द्वारा गत कुछ वर्षों में अवैध निर्माणों के खिलाफ की गई कार्यवाहियों पर गौर किया जाय तो पूरे शहर में जिस तरह से व्यावसायिक भवनों के निर्माण की बाढ़ आ गई है, उससे साफ़ जाहिर है कि प्राधिकरण की कार्यवाही केवल छोटे निर्माणों पर सीमित रहती है. गौर किया जाय तो कुछ वर्षों में शहर में अनगिनत व्यावसायिक भवन आवासीय मानचित्र पास करने की आड़ में बन चुके हैं और कई अवैध आवासीय भवनों की आड़ में होटलों में तब्दील हो गए हैं. लेकिन जब कार्यवाही की बात आती है, तो मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण को केवल छोटे छोटे आवासीय निर्माण नजर आते हैं. जिन पर कार्यवाही के नाम पर सीलिंग आदि कर विभागीय खानापूर्ति कर दी जाती है. जिससे आम गरीब तबके के लोग जिन्हें सर ढकने के लिए दो चार कमरों का निर्माण करना है, वे प्राधिकरण की इस कार्यशाली के कारण खौफजदा रहते हैं. मजे की बात यह है कि रसूकदार लोगों के निर्माणों पर गढ़वाल आयुक्त स्तर पर भी कार्यवाही नही हो पाती है, बल्कि वहां से उनको स्थगन आदेश हासिल हो जाता है. सवाल तो गढ़वाल आयुक्त के उन स्थगन आदेशो पर भी खड़े होते हैं, जिनके बाद अवैध निर्माण बदस्तूर जारी रहता है और प्राधिकरण कुछ नहीं कर पाता है. जिसके बाद बहुमंजिले भवन निर्मित हो जाते हैं और फिर ऐसे निर्माण उन बेचारे छोटे निर्माण करने वालों को चिढाते हैं, जिनके निर्माणों पर प्राधिकरण सीलिंग आदि की कार्यवाही करता है. प्राधिकरण के इस पक्षपाती रवैये के कारण ही उसकी कार्यशैली सवालों के घेरे में है.