इजरायल को मिली सबसे बड़ी कामयाबी, हमास चीफ याह्या सिनवार मारा गया
नई दिल्ली: इजरायल हमास का युद्ध पिछले एक साल से चल रहा है। लेकिन इस युद्ध में संभवतः इजरायल को अब सबसे बड़ी कामयाबी मिली है। इजरायल ने गाजा में हमास चीफ याह्या सिनवार को मार डाला है। गाजा में याह्या सिनवार को ट्रैक करना इजरायल के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। क्योंकि याह्या सिनवार किसी भी इलेक्ट्रॉनिक चीजों का इस्तेमाल नहीं करता था। इसके मारे जाने की खबर सुनकर आपको लग रहा होगा कि इजरायल ने हमेशा की तरह एक बड़े ऑपरेशन के जरिए अपने दुश्मन को मारा होगा। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है।
सिनवार को मारने में न मोसाद, न एयर स्ट्राइक और न ही कमांडो का हाथ रहा है। इसे मारने वाला सैनिक IDF के इन्फैंट्री कमांडर और कॉम्बैट ट्रेनिंग स्कूल से है। रिपोर्ट के मुताबिक जिस सैनिक ने सिनवार को मारा है उसने 9 महीने पहले ही सेना जॉइन की है। 7 अक्टूबर को इजरायल के हमले के दौरान वह सेना में भी नहीं था।
हमास चीफ का मारा जाना इजरायल की किस्मत खुलना है। क्योंकि जब सैनिकों ने इसे मार डाला तब उन्हें भी नहीं पता था कि वह याह्या सिनवार है। एक आतंकी गढ़ का ये सैनिक सफाया कर रहे थे। तभी उन्होंने पहले से बम लगी एक बिल्डिंग में तीन आतंकियों को देखा और उन्हें ढेर कर दिया। बिल्डिंग आंशिक रूप से ढह गई। बमों की मौजूदगी के कारण शवों की जांच करने के लिए एक ड्रोन भेजा गया। शुरुआती जांच में एक आतंकी का चेहरा हमास नेता याह्या सिनवार से मिलता जुलता लग रहा था। इससे सैनिकों को लगा कि उन्होंने अनजाने में अपने सबसे बड़े दुश्मन को ढेर कर दिया है।
सिनवार किस जगह मारा गया है उसकी जानकारी अभी भी इजरायल ने नहीं दी है। शवों से इजरायली सैनिकों को इजरायली नकदी और पहचान से जुड़े दस्तवेज मिले। उन्होंने सिनवार की पहचान की पुष्टि करने के लिए फोटो इजरायली पुलिस की फोरेंसिक इकाई को भेज दिया। यूनिट की प्रमुख सहायक आयुक्त अलीजा रजील ने पुष्टि की कि तस्वीरों में शव के दिख रहे दांत, उस रिकॉर्ड से मेल खाता है जो सिनवार के इजरायल की हिरासत में रहने के दौरान लिए गए थे।
उन्होंने कहा, ‘हमारे पास सिनवार के दांदों का डेटा फाइल में था। मिलान एकदम सटीक था। यह इस साल का सबसे महत्वपूर्ण मौका था।’ इसके अलावा हमास के एक वरिष्ठ कमांडर की मौजूदगी ने भी सिनवार की मौत का सुझाव दिया, जो अक्सर उसके साथ जाता था। मारे गए दो अन्य आतंकी सिनवार के बॉडीगार्ड थे। इनमें से एक UNRWA के शिक्षक के रूप में काम कर रहा था। दूसरा हमास के राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यालय में एक हाई रैंकिंग अधिकारी था।