July 5, 2025

लोगों को बेघर करने के खिलाफ सड़क पर उतरे राजनैतिक व सामाजिक संगठन, निकाली जनाक्रोश रैली

IMG-20240530-WA0005

देहरादून। विभिन्न संगठनों एवं राजनैतिक दलों तथा सामाजिक संगठनों के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने आज गांधी पार्क में एकत्र होकर सभा की। सभी ने एक स्वर में सरकार के द्वारा बस्तियों को तोड़ने का विरोध किया तथा सरकार को चेतावनी दी कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे को लेकर बृहद आन्दोलन छेड़ा जायेगा।

इस मौके पर वक्ताओं ने कहा है कि देहरादून में चल रहे ध्वस्तीकरण अभियान गैर क़ानूनी और जन विरोधी है। सरकार कानून के प्रावधानों और अपने ही वादों का घोर उलंघन कर लोगों को उजाड़ रही है। हरित प्राधिकरण के आदेश के बारे में गलत धारणा फैलाकर अनाधिकृत कर्मचारी बिना कोई क़ानूनी प्रक्रिया करते हुए निर्णय ले रहे हैं और लोगों को बेदखल कर रहे है, जो गैर क़ानूनी अपराध है।

वक्ताओं ने कहा है कि कुछ ही महीनों में 2018 का कानून भी ख़तम हो रहा है जिसके बाद सारे बस्ती में रहने वाले लोगों को उजाड़ा जा सकता है चाहे वे कभी भी बसे हो। सरकार के लिए एक ही सवाल है: मज़दूरों को न कोई कोठी मिलने वाला है और न ही कोई फ्लैट; तो जब सरकार ने आठ साल में नियमितीकरण, पुनर्वास और घर के लिए कोई भी कदम नहीं उठाये है, तो लोग कहाँ रहे? इस‌ पर सरकार जनता को जवाब दे। इन मांगों और नारों के साथ आज देहरादून में सैकड़ो की संख्या में लोगों ने सचिवालय कूच कर सरकार का ध्वस्तीकरण अभियान पर जमकर विरोध किया। साथ साथ में जनता ने मांग उठायी कि सरकार कोर्ट का आदेश का बहाना न बनाये और ध्वस्तीकरण अभियान पर रोक लगाया जाये। बिना पुनर्वास किसी को बेघर नहीं किया जायेगा, इस पर कानून लाया जाये क़ानूनी प्रावधान हो कि जब तक नियमितीकरण और पुनर्वास पूरा नहीं होता, तब तक बेदखली पर भी रोक हो। दिल्ली सरकार की पुनर्वास नीति को उत्तराखंड में भी लागू किया जाये। राज्य के शहरों में उचित संख्या के वेंडिंग जोन को घोषित किया जाये। पर्वतीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में वन अधिकार कानून पर अमल युद्धस्तर पर किया जाये। बड़े बिल्डरों एवं सरकारी विभागों के अतिक्रमण पर पहले कार्यवाही की जाये। बड़ी कंपनियों को सब्सिडी देने की प्रक्रिया को बंद किया जाये। 12 घंटे का काम करने के कानून, चार नए श्रम संहिता और अन्य मज़दूर विरोधी नीतियों को रद्द किया जाये। न्यूनतम वेतन को 26,000 किया जाये।

ज्ञातव्य है कि 30 मई ऐतिहासिक तिलाड़ी विद्रोह की 92 वीं वर्षगाठ है, जिसको किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है, और CITU ट्रेड यूनियन गठबंधन के स्थापना दिवस भी है। कार्यक्रम राज्य भर में भी आयोजित किये जा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने तिलाड़ी के शहीदों को भी श्रद्दांजलि दी।

प्रदर्शन में प्रमुख रूप से सी.आई.टी. यू ,एटक चेतना आन्दोलन, इन्टक, सीपीआई (एम), सीपीआई, सपा, आरयूपी, बसपा, कांग्रेस, महिला मंच, महिला समिति, एसएफआई, एआईएलयू, उत्तराखण्ड आन्दोलन कारी परिषद, किसान सभा, सर्वोदय मण्डल आदि संगठनों कि भागीदारी थी।

प्रमुख लोगों में किसान सभा के राज्य अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह सजवान, महामंत्री गंगाधर नौटियाल, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ एस.एन. सचान, सर्वोदय मंडल से हरबीर सिंह कुशवाह, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल और सुनीता सीपीएम के राज्य सचिव राजेंद्र नेगी अनंत आकाश, इंटक के प्रदेश अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट, कांग्रेस पार्टी के राज्य प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट,एटक के राज्य महामंत्री अशोक शर्मा,उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत, आर.यू.पी.के नवनीत गुसाईं, उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद के प्रवक्ता चिंतन सकलानी, और एस.एफ.आई प्रांतीय महामंत्री हिमांशु चौहान अध्यक्ष नितिन मलेठा बसपा के दिग्विजय सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित किया। सी.आई.टी.यू. के प्रांतीय सचिव लेखराज ने संचालन किया।

इस अवसर पर सीटू के अध्यक्ष क्रष्ण गुनियाल, रामसिंह भंडारी, रविन्द्र नौढियल, एस.एस.नेगी, चेतना आन्दोलन के विनोद बडोनी, मुकेश उइयल, संजय सैनी, रहमत,महिला समिति की बिंदा मिश्रा, एस.एफ.आई. के शैलेन्द्र परमार एआइएलयु के अभिषेक भंडारी, सीपीआई से एस.एस.रजवार, भीम आर्मी के नगर अध्यक्ष आजम खान, अर्जुन रावत, सुनीता चौहान, भोजन माता यूनियन की बबीता, सुनीता, ममता मौर्य, लक्ष्मी पन्त, एन.एस.पंवार, इन्द्रेश नौटियाल, विजय भट्ट, स्वाती नेगी, बिजेंद्र कनोजिया, देव राज, राजेन्द्र शर्मा, नरेंद्र सिंह आदि बड़ी संख्या में प्रदर्शन बस्तियों के प्रभावित लोग उपस्थित थे।

सचिवालय में प्रदर्शनकारियो से ज्ञापन प्रशासन की ओर से अपर तहसीलदार ने लिया तथा अपने स्तर से आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया। इस अवसर पर सभा का समापन सीपीएम के जिला सचिव राजेन्द्र पुरोहित ने किया।

About Author

Please share us

Today’s Breaking

Translate »

You cannot copy content of this page