Mussoorie Update: पर्यटन विभाग की झड़ीपानी स्थित विवादित भूमि का होगा सीमांकन, छः सदस्यीय जांच टीम गठित
मसूरी। एक षडयंत्र के तहत नगर पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता के बड़े भाई पंकज गुप्ता पर झड़ीपानी स्थित पर्यटन विभाग की भूमि पर अतिक्रमण करने के आरोप लग रहे है। हालांकि पंकज गुप्ता पहले ही इन आरोपों को नकार चुके हैं। हद तब होती है जब पालिकाध्यक्ष के खिलाफ दुष्प्रचार करने में जुटे गैंग की शिकायत पर पर्यटन विभाग कार्यवाही करने पहुंच जाता है। इसके बाद गुप्ता ने गढ़वाल कमिश्नर व लैंड फ्रॉड समिति के अध्यक्ष सुशील कुमार से मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है। जिस पर गढ़वाल कमिश्नर ने एसडीएम सदर को जांच व सीमांकन हेतु उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर रिपोर्ट एक सप्ताह में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। जिस पर एसडीएम सदर ने तहसीलदार सदर की अध्यक्षता में छः सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी है। जो एक सप्ताह के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट लैंड फ्रॉड समिति को सौंप देगी।
दरअसल झड़ीपानी में पर्यटन विभाग की भूमि है जिससे झड़ीपानी निवासी पंकज गुप्ता की निजी भूमि भी सटी हुई है। पंकज गुप्ता पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता के बड़े भाई है। स्वाभाविक है कि जब कुछ लोग अनुज गुप्ता का राजनितिक मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं तो वे उनके भाई पंकज गुप्ता पर आरोप लगा रहे हैं कि उनके द्वारा पर्यटन विभाग के एक भाग पर कब्जा कर दिया गया है। जबकि पंकज गुप्ता द्वारा बार बार सीमांकन करने को कहा जाता रहा है। लेकिन पर्यटन विभाग ने सीमांकन नही किया। अब हर मामले में अनुज गुप्ता से शिकस्त झेल चुका गैंग उनके बड़े भाई पंकज गुप्ता के खिलाफ नीचता पर उतर चुका हैं। परिणाम स्वरूप पर्यटन विभाग चाहरदिवारी व रास्ते के निर्माण को रोकने व ध्वस्तीकरण करने भी पहुंची, जिसका पंकज गुप्ता ने विरोध किया। जिसके बाद दोनो पक्षों के बीच क्रय विक्रय संबंधी 1987 के मानचित्र के आधार पर सीमांकन किए जाने के बाद ही किसी कार्यवाही को करने पर सहमति बनी। पर्यटन विभाग की इस गैर जिम्मेदाराना हरकत के बाद पंकज गुप्ता ने गढ़वाल कमिश्नर व लैंड फ्रॉड समिति के अध्यक्ष सुशील कुमार से निष्पक्ष जांच की मांग की है। जिस पर गढ़वाल कमिश्नर व लैंड फ्रॉड समिति के अध्यक्ष सुशील कुमार के निर्देश पर एसडीएम सदर नरेश दुर्गापाल ने तहसीलदार सदर की निगरानी में छः सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है, जिसमे अधिशासी अधिकारी नगर पालिका मसूरी, जिला पर्यटन अधिकारी, अधिशासी अभियंता0पी0 पोलपॉपपो पीडब्ल्यूडी, क्षेत्रीय राजस्व उप निरीक्षक आदि हैं। जो कि एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट समिति के समक्ष प्रस्तुत करेगी
आपको बता दें नगर पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता के खिलाफ व्यक्तिगत रंजिश रखने वाले कुछ बिल्लियां जब साम दाम दण्ड भेद कर भी अनुज गुप्ता का बाल बांका नहीं कर पा रहे हैं, तो खिसीयाहट उनके बड़े भाई पंकज गुप्ता पर निकालने लगे हैं। नतीजतन उनकी शिकायतों पर पर्यटन विभाग भी अंधेरे में हाथ पैर मारने लगा और पहुंच गया चारदिवारी और रास्ते के निर्माण को तोड़ने। इसके बाद ही पंकज गुप्ता ने गढ़वाल कमिश्नर व लैंड फ्रॉड समिति के अध्यक्ष सुशील कुमार को पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच की मांग की।
इस संबंध में पंकज गुप्ता ने स्पष्ट किया है कि निष्पक्ष जांच व सीमांकन के बाद यदि पर्यटन विभाग की भूमि के किसी हिस्से पर उनके द्वारा कोई अतिक्रमण किया गया पाया जाता है तो वे हर कार्यवाही के लिए तैयार हैं। साथ ही उन्होंने साफ किया कि यदि जांच के उपरांत पर्यटन विभाग की भूमि पर उनके द्वारा किसी प्रकार का अतिक्रमण करना नही पाया जाता है तो वह झूठी शिकायतें करने वाले शरारती तत्वों को न्यायालय का रास्ता दिखाएंगे।
खिसीयाई बिल्लियां खंबा नोचने में जुटी
आपको बताते हैं शहर में कुछ विकास विरोधी व शरारती तत्व अनुज गुप्ता के पालिका अध्यक्ष बनने के बाद से ही एक गिरोह के रूप में सक्रिय हैं। जिसमे कोई खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताता है तो कोई खुद को तुर्रम खां पत्रकार। इन पत्रकारों की अगर बीते चार सालों की खबरे देखे जो कि पालिकाध्यक्ष से जुड़ी हुई है उसमे पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता के खिलाफ केवल नफरत ही दिखाई देगी। दरअसल ये पत्रकार भी एक एजेंडे पर केवल अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए पत्रकारिता कर रहे हैं। इनका मकसद इनकी खबरों में साफ झलकता है। नगर पालिका के जिन कार्यों की शहरवासी तारीफ कर रहे वे कार्य भी इन पत्रकारों को अवैध दिखते हैं। जबकि इनके खुद के घर और गेस्ट हाउस अवैध बने हुए हैं। यही वे पत्रकार है जिन्होंने किंग क्रेग में दुकानें नही बनने दी। फिर यही पत्रकार खबर छापते हैं कि पालिका ने अवैध निर्माण कर लोकधन की बरबादी कर दी है। ये तथाकथित पत्रकार तब कहा रहते हैं जब पालिका का कोई अवैध कार्य शुरू होता है। तब क्यों नही लोकधन को बचाने आगे आते हैं। इनको यदि शहर के अच्छे बुरे से मतलब होता तो केवल अपने व्यक्तिगत रंजिश के लिए पत्रकारिता नही करते। दुकानें बनती है तो शायद इनको दुकान नही मिलेगी, यह सोचकर खिलाफ में खबर छाप दो। अगर इनको आवास नही मिलते तो खिलाफ में खबर छाप दो। इनकी स्वार्थ की पूर्ति नहीं होती तो खिलाफ में खबर छाप दो। इन तथाकथित पत्रकारों की हरकतों से तो यही प्रतीत होता है। अरे भाई पालिका द्वारा जब भी कोई अवैध निर्माण कार्य शुरू किया जाता है तब आप और आपकी यह शरारती बुद्धि घास चरने गई होती है क्या। जब तुमारे अपने अवैध घर, गेस्ट हाउस नही टूट सकते तो जनहित में हो रहे निर्माण कार्यों और बेरोजगार युवाओं के रोजगार के लिए बनने वाली दुकानें ही तुमको अवैध कैसे दिखती हैं। प्रशासन और एमडीडीए को भी इनके अवैध आवास और गेस्ट हाउस क्यों नजर नहीं आते। इनका मकसद एक एजेंडे के तहत पालिकाध्यक्ष की छवि को जानबूझकर धूमिल करने की स्पष्ट प्रतीत होती है। इनकी ऐसी खबरों का हम जल्द पोस्टमार्टम करेंगे और बताएंगे कि कैसे ये तथाकथित गैंग अनुज गुप्ता के द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों से बौखला गया हैं। इनके हाल बिल्कुल वैसे हो गए हैं, जैसे एक खिसियाई बिल्ली के होते है। दिख रहा है कि अब ये खिसीयाई बिल्लियां खंबा नोचने में जुटी हुई है।