जोशीमठ की घटना के बाद लंढौर क्षेत्रवासी भी भू-धंसाव को लेकर भयभीत, स्थानीय निवासी बोले- जल्द हो उपचार
मसूरी: पर्यटक स्थल मसूरी के सबसे पुराने बाजार लंढौर बाजार पर भी वर्षों से भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है। यहाँ लंढौर चौक से आगे जैन मंदिर व कोहिनूर बिल्डिंग के पास लोगों के घरों व दुकानों में दरारें आई हुई है, लेकिन प्रशासन व सरकार की ओर से इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया गया है। वहीँ जोशीमठ की घटना के बाद इस क्षेत्र के निवासियों भी रात की नींद उडी हुई है और लोग भय के साए में जीने को मजबूर है।
जानकारी मिलने पर उपजिलाधिकारी मसूरी शैलेंद्र नेगी ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया व कहा कि इस क्षेत्र की संबंधित विभागों व वैज्ञानिकों से पूरी जांच करवाई जायेगी और जमीन के धंसने के कारणों का पता लगाया जायेगा। जिसके बाद इसके उपचार की व्यवस्था की जायेगी। वहीं इस संबंध में पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कहा कि लंढौर बाजार का जैन मंदिर क्षेत्र लगातार धंसता जा रहा है, जो गंभीर समस्या बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए पालिका इंजीनियर की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जा रही है, जो जल्दी ही मौके पर जाकर निरीक्षण करेगी व रिपोर्ट देगी। उसके बाद शासन प्रशासन द्वारा इस क्षेत्र का ट्रीटमेंट करवाया जायेगा। ताकि क्षेत्रवासियों को किसी भी प्रकार के जानमाल के नुकसान से बचाया जा सके। यह कार्यवाही शीघ्र की जायेगी।
बता दें विगत कई वषों से लंढौर चौक से आगे व कोहिनूर बिल्डिंग तक जमीन लगातार धंसती जा रही है,जबकि कई बार वहां पर मार्ग की मरम्मत कर सही करने का प्रयास किया जा चुका है, लेकिन जमीन धंसने के कारण इसका उपचार नही हो पाता है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह क्षेत्र लगातार धंस रहा है और यहां पर जैन मंदिर की टाइलें भी टूटने लगी हैं, लेकिन प्रशासन व सरकार की ओर से इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। अब जोशीमठ में जो हुआ उसके बाद यहां के लोगों की भी रात की नींदे उडी हुई है। लोगों को लग रहा है कि कहीं इस क्षेत्र को भी जोशीमठ जैसी स्थिति का सामना न करना पड़े। लोगों का कहना है कि अगर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में बड़ी घटना हो सकती है।
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स्थानीय निवासियों का कहना है कि लंढौर मसूरी का सबसे पुराना बाजार है। इसके अस्तित्व को बचाए रखने को लेकर सरकार, प्रशासन व पालिका को यहाँ हो रहे भू धंसाव का पता लगाकर उपचार करना चाहिए, ताकि यहाँ के लोगों के भय को दूर किया जा सके। दरअसल पुराना बाजार होने के कारण यहाँ की जर्जर हो चुकी बहुमंजिला भवनो के मरम्मत में एमडीडीए के नियम कानून बाधा बने हुए हैं। यहाँ की नजूल भूमि भी आज तक फ्री होल्ड नहीं हो पायी है और भवनों के कई स्वामी हैैं, जिस कारण भी मरम्मत भी नहीं हो पाती है।
व्यापार संघ अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने कहा कि यह क्षेत्र भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र है। ऐसे में यहाँ खतरा बढ़ रहा है। यहां की स्थिति जोशीमठ जैसी न हो इसके लिए प्रशासन व पालिका को सर्वें कर यहाँ के गिरासू भवनों के बारे में भी गंभीरता से सोचना चाहिए। स्थानीय निवासी रवि गोयल ने कहा कि लंढौर बाजार विगत तीन दशकों से धीरे धीरे धंस रहा है। पूर्व में जब इसका पता चला तो रूड़की से सीबीआरआई के वैज्ञानिकों की टीम ने पूरे क्षेत्र का निरीक्षण किया व साउथ रोड के नीचे से लेकर लक्ष्मणपुरी तक पिलर लगाये व जाली लगायी ताकि पता चल सके कि भू-धंसाव किस गति से हो रहा है व कितना हो रहा है। लेकिन उसके बाद कुछ नहीं हो पाया। अब यह क्षेत्र लगातार धंसता जा रहा है, जिसका उपचार किया जाना चाहिए व साउथ रोड पर किसी भी प्रकार के निर्माण की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
भू-धंसाव वाले स्थान पर दुकान चला रहे प्रियांशु ने कहा कि लंबे समय से यह क्षेत्र दरक रहा है। इस संबंध में कई बार सरकारी अधिकारियों व पालिका को कहा गया लेकिन कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि हम लोग रात को भय के साए में जीवन व्यतीत कर रहे हैं।