अगलाड़ यमुना घाटी विकास मंच ने धूमधाम से मनाई बूढ़ी दीपावली, लोगों ने जमकर किया तांदी, रासो, सरांई नृत्य
मसूरी। अगलाड़ यमुना घाटी विकास मंच के तत्वाधान में बूढ़ी दीपावली(मंगसीर बग्वाल) धूमधाम के साथ मनाई गई। इस मौके पर जौनपुर रंवाई, व जौनसार के लोगो ने पारपंरिक वाद्य यंत्रों ढोल दमाउ की थाप पर जमकर तांदी, रासो, सरांई नृत्य किया व पूजा अर्चना के बाद होल्डे जलाये।
अगलाड़ यमुना घाटी विकास मंच द्वारा जीरो प्वाइंट पर मंगसीर बग्वाली का पर्व धूमधाम से मनाया। इस मौके पर जौनपुर रंवाई, व जौनसार व स्थानीय लोगों ने बड़ी संख्या में कार्यक्रम में प्रतिभाग किया व जमकर तांदी, रासो, सरांई नृत्य किया। वहीं पूजा अर्चना के बाद होल्डे जलाये गये व होल्डों के साथ पारंपरिक लोक नृत्य किया गया। कार्यक्रम के अंत में रस्साकशी का खेल आयोजित किया गया, जिसमें एक ओर महिलाएं व दूसरी ओर पुरूष थे।
गौरतलब है कि जौनपुर जौनसार और रवांई क्षेत्र में बूढ़ी दीपावली का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम वनवास के बाद जब वापस अयोध्या लौटे तो इसकी सूचना पहाड़ों में एक माह बाद मिली थी, जिसके बाद पहाड़ों में दीपावली बूढ़ी बग्वाली के रूप में मनाई जाती है। जिसमें महिलाएं एवं पुरुष अपनी पारंपरिक वेशभूषा में ढोल दमाऊ और रणसिंघा की थाप पर नृत्य करते हैं और विशेष पकवान भी बनाए जाते हैं।
इस बारे में जानकारी देते हुए अगलाड़ यमुना घाटी विकास मंच के अध्यक्ष शूरवीर सिंह रावत ने बताया कि अपनी संस्कृति को जीवित रखने और प्रवासी लोगों को अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक करने के लिए मसूरी क्षेत्र में इसका आयोजन किया गया है और यहां पर प्रवासी लोगों के साथ ही ग्रामीणों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है उन्होंने बताया कि ऐसे आयोजनों से प्रवासी लोगों को जोड़ना ही मंच का उद्देश्य है।
इस अवसर पर मंच के कोषाध्यक्ष सूरत सिंह रावत ने बताया कि इसमें लकड़ियों को इकट्ठा कर ढिंम्सिया पूजन किया गया व उसके बाद भैलों खेला गया। जो खुशी का प्रतीक माना जाता है। साथ ही पांडव नृत्य मंडाण का भी आयोजन किया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ स्थानों पर माधों सिंह भंडारी के तिब्बत से जीत कर आने की खुशी में यह दीपावली मनाई जाती है।
इस अवसर पर स्थानीय महिला सीमा ने बताया कि पहाड़ी दिवाली का पहाड़ों में विशेष महत्व है और आज मसूरी में कार्यक्रम आयोजित किया गया है जिसमें प्रवासी पहाड़ियों के साथ ही स्थानीय लोगों ने भी भाग लिया है अपनी संस्कृति से रूबरू हुए। वहीं स्थानीय महिला सुनीता नेगी का कहना है कि पहाड़ी बग्वाली मे दूरदराज के क्षेत्र आये लोग शामिल होते हैं। उन्होंने बताया कि अपनी संस्कृति को बचाने के लिए और अपने बच्चों को अपनी संस्कृति के बारे में बताने का या बेहतरीन मंच है।
मसूरी केम्पटी मुख्य मार्ग पर आयोजन होने पर पर्यटकों ने भी इस पर्व का जमकर आनंद लिया व ग्रामीणों के साथ नृत्य भी किया। कार्यक्रम के अंत में बिरूड़ी का प्रसाद वितरित किया गया। इस मौके पर पारंपरिक पकवान भी बनाये गये व मौजूद लोगों को परोसे गये।
कार्यक्रम में पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला, पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता, सहकारी बैक के जिलाध्यक्ष सुभाष रमोला, राजेंद्र रावत, विरेंद राणा, बलबीर चैहान, मेघ सिंह कंडारी, बीना मल्ल, पालिका सभासद प्रताप पंवार, दर्शन रावत, गीता कुमाई, जशोदा शर्मा, कुलदीप रौछेला, सरिता पंवार, दिनेश पंवार, रेखा सिलवाल, सुनील सिलवाल, प्रभा नौटियाल, कमलेश भंडारी, सीमा पंवार, विरेंद्र पंवार, मनोज गौड, सुशांत वोहरा सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाएं व पुरूष मौजूद रहे।