June 1, 2025

पहाड़ के पापियों को हुई उम्रकैद की सजा, अंकिता भंडारी को मिला न्याय

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कोटद्वार: आखिरकार देर से ही सही, उत्तराखंड की बेटी अंकिता भंडारी को न्याय मिला। इस हाई-प्रोफाइल मामले में घटना के 2 साल, 8 महीने और 12 दिन कोर्ट से फैसला आया है। कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने तीनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस मामले में मुख्य साजिशकर्ता पुलकित आर्या पर लगाए गए चारों आरोप सही पाए गए हैं।

कोर्ट ने फैसला देते हुए मुख्य अभियुक्त पुलकित आर्य पर कुल 72 हजार रुपये का अर्थदंड, सौरभ भास्कर व अंकित गुप्ता पर भी 72-72 हजार रुपये अर्थदंड लगाया है। राज्य सरकार की प्रतिकर योजना के तहत पीड़िता के परिजनों को चार लाख रुपये प्रतिकर दिलाए जाने का आदेश भी कोर्ट ने दिया है।

बता दें 18 सितंबर 2022 को यमकेश्वर के वनतारा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट का काम करने वाली अंकिता भंडारी की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड के बाद मामला जिस प्रकार से आगे बढ़ा, उससे एक समय लगा कि रसूखदार आरोपी घटना से बच निकलेगा। लेकिन, जांच सही हुई। कोर्ट ने तेजी से सुनवाई की और आखिरकार रसूखदार आरोपी कानून के जरिए दोषी करार दे दिया गया। इस हत्याकांड ने उस मध्यम, निम्न मध्यम और गरीब वर्ग को झकझोर दिया था, जिनके घरों से बेटियां बड़े सपने लेकर शहर जाती हैं। कमाकर परिवार की स्थिति सुधारना चाहती हैं। कोर्ट के फैसले ने अब इन लोगों में कानून के प्रति एक उम्मीद जरूर जगाई है। ऐसा अपराध करने वाला कितना भी बड़ा क्यों न हो, उसे सजा जरूर मिलेगी।

अंकिता भंडारी की जिस प्रकार से रिजॉर्ट से ले जाकर हत्या करने और उसके शव को चीला नहर में फेंकने का मामला आया, उसने आरोपियों के खिलाफ माहौल खड़ा कर दिया। एक सामान्य लड़की जब सपनों को उड़ान देने घर से निकलती है तो उसे कुचलने की कोशिश किस प्रकार की जाती है, यह घटना उसका उदाहरण था। अंकिता के माता-पिता उसके गायब होने के एक सप्ताह तक परेशान रहे थे। बेटी को खोजने की कोशिश करते रहे, लेकिन अंकिता का कहीं पता नहीं चला।

अंकिता हत्याकांड के मामले को दबाने की कोशिश हर स्तर पर की गई। पुलकित आर्या के पिता विनोद आर्य भारतीय जनता पार्टी से जुड़े थे। उत्तराखंड में रसूखदार नेताओं में उनका नाम शामिल था। इस कारण आरोपी के बचने की आशंका जताई जाने लगी। सरकार पर आरोपी को बचाने की कोशिश के आरोप विरोधियों ने लगाए।

47 गवाहों ने दी कोर्ट में गवाही

विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मामले की जांच की और 500 पेज की चार्जशीट दाखिल की। जिसमें 97 गवाहों शामिल किए गए। केस ट्रायल पर आया तो इनमें से 47 गवाहों ने कोर्ट में अपनी गवाही दी। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य मिटाना), 354ए (छेड़छाड़ और लज्जा भंग) और अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम के तहत आरोप तय किए गए। जिस पर ट्रायल के बाद कोर्ट ने यह फैसला दिया।

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