हिमाचली लोकगायक विक्की चौहान ने क्यों कहा- मसूरी व जौनपुर की संगीत प्रेमी जनता के आगे नतमस्तक हूँ
मसूरी। कैंपटी में कार्यक्रम देने के बाद मसूरी पहुंचे हिमाचली लोकगायक विक्की चौहान ने कहा कि वह जौनपुर व मसूरी की संगीत प्रेमी जनता के आगे नतमस्तक है। उन्होंने कहा कि यहाँ की जनता से उन्हें जो प्यार मिलता है उसके लिए वह हृदय से आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें जितना प्यार हिमाचल की जनता से मिलता है, उतना ही प्यार यहां की जनता भी करती है। बल्कि जो मान सम्मान यहां मिलता है उसका कोई सानी नहीं है। जिस कला संस्कृति व गीत संगीत के क्षे़त्र में काम कर रहे हैं उस पर यहां आकर गर्व होता है। क्योंकि यहां पर कलाकारों को पलकों पर बिठाते हैं।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए हिमाचली लोकगायक विक्की चौहान ने कहा कि मसूरी से उनकी पुरानी यादें जुड़ी हैं। जब वह पहली बार जौनपुर क्षेत्र में आये थे, तब भी वहां की जनता ने जो प्यार दिया उसको कभी भुलाया नहीं जा सकता। वहीं मसूरी में भी शरदोत्सव व विंटर लाइन कार्निवाल में भी उनके द्वारा प्रस्तुति दी गयी व यहां की जनता ने भी भरपूर प्यार दिया। उन्होंने कहा कि एक कलाकार जब स्टेज पर होता है, तो श्रोताओ द्वारा उसके गानों पर पूरी संजदगी से मनोरंजन करना व मान सम्मान देने से ज्यादा और क्या चाहिए। यह कलाकार के लिए बड़ी उपलब्धि होती है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र जौनपुर-जौनसार का है जो गढवाल से लगा है। लेकिन यहाँ पर हिमाचल के गानों को जो प्यार मिलता है, हिमाचल की नाटी को यहाँ की संगीत प्रेमी जनता ने जो सम्मान दिया उसका वर्णन नहीं कर सकता।
विक्की चौहान ने कहा कि हिमाचल व उत्तराखंड की संस्कृति दो प्रदेशों की नहीं बल्कि पहाड़ों की संस्कृति, कला व गीत है। वहीं हिमाचल व उत्तराखंड के इस क्षेत्र की संस्कृति काफी मिलती है।
उन्होंने कहा कि वह हिमाचल के साथ ही जौनसार व गढवाल के गीत भी गाते हैं। पहले चालदा महाराज पर गीत गाया व हाल ही में महासू महाराज के चारों भाइयों पर गीत गाया जिसे बहुत पसंद किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उन्होंने गढवाली गाने कम गाये है, लेकिन शीघ्र ही गढवाली गाने का प्रोजेक्ट करने जा रहे हैं जिस पर कार्य चल रहा है। यह गीत डीजी पैटर्न पर होगा। उन्होंनेे कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि यहाँ के कलाकार हिमाचल जा रहे हैं और वहां के कलाकार यहं आ रहे हैं, जिससे संस्कृति भाषा का आदान प्रदान हो रहा है और दोनों राज्य की जनता कलाकारों का पूरा सम्मान दे रही है। इससे संस्कृति कोे बढावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि संस्कृति नई पीढी को जानी चाहिए। इसका प्रयास किया जा रहा है ताकि संस्कृति बची रह सके। क्योकि जिस तरह दुनिया तेजी से आगे बढ रही है। उससे सीख लेते हुए संस्कृति को उसी तेजी से आगे बढाना पड़ेगा। कहीं ऐसा न हो कि हमारी संस्कृति, कला, भाषा गीत, परंपरा पीछे न छूट जाय। ऐसे में हर कलाकार का फर्ज बनता है कि वह इतनी मेहनत करे कि हमारे गीत संगीत पीछे न छूटे बल्कि तेजी से आगे बढे़ व युवा पीढी इससे जुड सके।
इस मौके पर उन्होने नये गीत बालिमा मेरी बालिमा, साजिना मेरी साजिना सुनाया, जो काफी पंसद किया जा रहा है व कहा कि ग्लेमर की दुनिया में गीत संगीत का बड़ा महत्व है, ऐसे में प्रयास किया जाना चाहिए कि उनका स्वास्थ्य अच्छा रहे। उन्होंने कहा कि पूरे देश में ग्लेमर की दुनिया में कार्य हो रहा है, चाहे पंजाब हो, मुबंई हो या साउथ हो। कलाकार जब स्टेज पर जाता है तो ग्लेमर के साथ एक्टिंग भी होनी चाहिए। तभी जनता उन्हें पसंद करती है। वहीं कलाकार पर काफी प्रेशर होता है उन्हें अधिक मेहनत करनी पड़ती है। जनता की पसंद के साथ गाने गाने पड़ते हैं। ऐसे में अगर अपने को इंपूु्रव करना पड़ता है, यह तभी संभव है जब स्वास्थ्य ठीक हो। अगर स्वस्थ्य नहीं है तो यह नहीं हो सकता। इसके लिए वह योगा, ध्यान, मेडिटेशन आदि करते हैं। उन्होनें कहा कि कैंपटी में जो कार्यक्रम था उसमें रात से सुबह तीन बजे तक लगातार गाने गये। अगर स्वास्थ्य ठीक नहीं होता तो यह संभव नहीं था। इसलिए गाने के साथ स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी जरूरी है।